भारत में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? – पूरी प्रक्रिया
भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जहां जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है। हालांकि, देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद – राष्ट्रपति (President of India) – प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा नहीं, बल्कि विशेष निर्वाचक मंडल द्वारा चुना जाता है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम विस्तार से समझेंगे कि भारत में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है, कौन-कौन इसमें भाग लेते हैं, और इसकी पूरी प्रक्रिया क्या होती है।
🔰 राष्ट्रपति कौन होता है?
राष्ट्रपति भारत का संवैधानिक प्रमुख (Constitutional Head) होता है। यद्यपि कार्यपालिका के प्रमुख प्रधानमंत्री होते हैं, फिर भी राष्ट्रपति ही संविधान के रक्षक और भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च सेनापति होते हैं। उनका कार्य अधिकतर प्रतीकात्मक होता है, लेकिन उनकी संवैधानिक भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।
🗳️ राष्ट्रपति का चुनाव कौन करता है?
राष्ट्रपति का चुनाव जनता प्रत्यक्ष रूप से नहीं करती, बल्कि यह कार्य करता है एक विशेष निर्वाचक मंडल जिसे Electoral College (निर्वाचक मंडल) कहते हैं –
इस निर्वाचक मंडल में शामिल होते हैं:
✅ लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
✅ भारत के सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य
✅ केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली और पुडुचेरी की विधानसभा के निर्वाचित सदस्य
❌ निम्नलिखित सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में भाग नहीं लेते:
– मनोनीत सांसद या विधायक
– विधान परिषद (राज्यसभा जैसे द्विसदनीय राज्यों में) के सदस्य
– अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि
🧮 वोटों का मूल्य कैसे तय होता है?
राष्ट्रपति चुनाव में हर वोट का Value अलग होता है। यानी सभी वोट समान नहीं होते।
✳️ विधायक के वोट का मूल्य (Value of MLA's Vote)
यह राज्य की जनसंख्या पर आधारित होता है, और 1971 की जनगणना को आधार माना जाता है।
📌 सूत्र:
(राज्य की जनसंख्या / राज्य में निर्वाचित विधायक की संख्या) × (1/1000)
👉 उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में एक विधायक का वोट मूल्य ~208 होता है, जबकि छोटे राज्यों में जैसे सिक्किम में ~7 होता है।
✳️ सांसद के वोट का मूल्य (Value of MP's Vote)
सभी सांसदों के वोट का मूल्य समान होता है, और यह इस प्रकार तय किया जाता है:
📌 सूत्र:
सभी विधायकों के कुल वोट मूल्य ÷ संसद के निर्वाचित सदस्यों की संख्या
👉 उदाहरण: यदि विधायकों के कुल वोट = 5,49,495 और सांसद 776 हैं, तो एक सांसद का वोट मूल्य = 708
🧾 मतदान प्रक्रिया: कैसे होता है चुनाव?
भारत में राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation System) और एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote) के तहत होता है।
मतदाता (निर्वाचक) एक मत देते हैं, लेकिन उसमें उम्मीदवारों की प्राथमिकता क्रम (1, 2, 3…) लिखते हैं।
यदि कोई उम्मीदवार पहले चरण में जरूरी बहुमत नहीं पाता है, तो सबसे कम वोट पाने वाले को हटा दिया जाता है और उसके मत दूसरे विकल्प को ट्रांसफर किए जाते हैं। यह तब तक दोहराया जाता है जब तक कोई उम्मीदवार जरूरी बहुमत न पा ले।
🎯 जीत के लिए जरूरी वोट – क्या है कोटा?
राष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार को कुल वैध मतों का 50% + 1 प्राप्त करना अनिवार्य होता है।
📌 सूत्र:
(कुल वैध मतों का योग ÷ 2) + 1
यह सुनिश्चित करता है कि विजेता को संपूर्ण निर्वाचक मंडल का बहुमत प्राप्त हो।
✅ राष्ट्रपति बनने की योग्यता
कोई भी भारतीय नागरिक राष्ट्रपति बनने के लिए पात्र हो सकता है यदि:
उसकी उम्र कम से कम 35 वर्ष हो
वह लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो
वह किसी लाभ के पद (Office of Profit) पर न हो
📋 नामांकन प्रक्रिया कैसे होती है?
उम्मीदवार को नामांकन के लिए 50 प्रस्तावक (Proposers) और 50 अनुमोदक (Seconders) की आवश्यकता होती है।
₹15,000 की सिक्योरिटी डिपॉजिट जमा करनी होती है।
चुनाव आयोग नामांकन पत्रों की जांच करता है।
📅 कार्यकाल और पुनः चुनाव
राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है।
वह किसी भी बार फिर से राष्ट्रपति चुने जा सकते हैं, इसकी कोई सीमा नहीं है।
अब तक केवल डॉ. राजेंद्र प्रसाद ऐसे राष्ट्रपति रहे हैं जिन्हें दो बार चुना गया।
📌 आकस्मिक रिक्ति होने पर क्या होता है?
यदि राष्ट्रपति का पद कार्यकाल से पहले खाली हो जाता है (मृत्यु, इस्तीफा या अपात्रता के कारण), तो: उप-राष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बनते हैं, 6 महीने के भीतर नए राष्ट्रपति का चुनाव होना आवश्यक होता है
📖 कुछ रोचक तथ्य
भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद
पहली महिला राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल
वर्तमान राष्ट्रपति (2025) श्रीमती द्रौपदी मुर्मू
सबसे लंबा कार्यकाल डॉ. राजेंद्र प्रसाद (1950–1962)
भारत में राष्ट्रपति का चुनाव एक सुव्यवस्थित और जटिल प्रक्रिया है, जो यह सुनिश्चित करती है कि हर राज्य और केंद्र की समान भागीदारी हो। यह प्रणाली भारत के संघीय ढांचे (Federal Structure) को मजबूत करती है और लोकतंत्र की जड़ों को गहराई देती है।
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